Read in English: What And Where Are We Indians Today?
नयी सहस्राब्दी के उषः काल में भारत अचम्भे और अनिर्णय के चौराहे पर अपने को खड़ा पाता है. यह एक दयनीय व ह्रदय विदारक स्थिति की ओर को इंगित करता है जबकि एक अरब से भी ज्यादा जनसँख्या वाला यह धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र अनेकानेक राजनैतिक, आध्यात्मिक व पन्थ विशेष के बौद्धिक सम्पदा सम्पन्न महानुभावों से अटा पड़ा है.
इस अचम्भे और अनिर्णय के चौराहे का प्रत्येक मार्ग विध्वंस की ओर ही पथ प्रशस्त करता दीखता है. भारतीय चित्त व मानस का मौलिक चिंतन, दर्शन, कला, नीति व अनीति का निर्णायक अधिष्ठान, अनादि काल से अनेकानेक वैश्विक योगदान और यहाँ तक की भारत की प्रचुर जनसम्पदा भी इस विध्वंस का ग्रास बनते हुए प्रतीत सी होती है.
यह सत्य विषादजन्य प्रतिध्वनित अवश्य लगता है परंतु इस बात की नितांत संभावना है की संप्रभु भारतीय गणराज्य एक दुखद अंत की ओर द्रुत गति से अग्रेसित है. एक ऐसा अंत जिधर खंड खंड हुए भारतीय राज्य पश्चिम के अतिरेक से ग्रसित हो, अंध व कट्टरपंथी सांप्रदायिक विद्वेष से उत्पन्न आतंरिक कलह व युद्ध से पीड़ित जन व धन के अप्रतिम नाश के हेतु बन रहे हैं...
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