कैसे गुप्त अमेरिकी प्रयोगों ने चीनी पशु बाजारों को वित्त पोषित किया

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कोरोनावायरस की उत्पत्ति के बाद इसका सबसे बुरा प्रभाव जिन देशों पर पड़ रहा है, उनमे सबसे पहले नंबर पर अमेरिका का नाम आता है। जबसे सूत्रों के माध्यम से इस बात का पता चला है कि कोरोनावायरस की उत्पत्ति वुहान के सीफूड मार्केट से हुई है, तबसे उसे बैन करने की मांग विश्वस्तर पर उठने लगी है। लेकिन क्या आपको इस बात की तनिक भी जानकारी है कि अमेरिका द्वारा गुप्त तौर पर वुहान की जानवर बाजारों में शोध कराया जाता है। अमेरिका के करदाताओं का पैसा चीन की वुहान सीफ़ूड मार्केट और जानवरों से सम्बंधित शोध के लिए वुहान प्रयोगशाला को फण्ड दिया जाता है। और यह वही जगह है जहाँ से वुहान कोरोनावायरस के फैलने का अंदेशा लगाया जा रहा है।

कैसे गुप्त अमेरिकी प्रयोगों ने चीनी पशु बाजारों को वित्त पोषित किया
कैसे गुप्त अमेरिकी प्रयोगों ने चीनी पशु बाजारों को वित्त पोषित किया

White Coat Waste Project रिपोर्ट

White Coat Waste Project एजेंसी जोकि करदाताओं के द्वारा दिए गए कर पर पैनी नजर रखती है। उसकी रिपोर्ट के अनुसार पिछले कई दशकों से American Department of Agriculture के अधिकारी गुप्त तौर पर जानवरों के परीक्षण प्रयोगों के लिए चीन का दौरा करते रहे हैं। जहाँ से वह बीमार व ग्रसित जानवरों का मांस लाकर USDA के जानवरों को जबरदस्ती खिलाते हैं और खासकर वह मांस बिल्ली के बच्चों का होता है।

अमेरिका के करदाताओं के पैसे से वेट मार्केट और वुहान की एनिमल टेस्टिंग लैब विशेष रूप से वुहान प्रयोगशाला को फण्ड दिया जाता था और आपको एक बार फिर बता दें कि यह वही जगह है जहाँ से कोरोनावायरस की उत्पति हुई थी।

Kitten Cannibalism (किटेन कन्निबलिज्म)

चौंकाने वाले खुलासे में से एक खुलासा USDA द्वारा किया गया Kitten Cannibalism भी रहा है। जिसमें लैब निर्मित बिल्ली के बच्चे को, संक्रमित बिल्ली के मांस को एक परजीवी का अध्ययन करने के लिए खिलाया गया था। जो खाद्य जनित बीमारी टॉक्सोप्लाज्मोसिस (toxoplosmosis) का कारण बनता है। इसके लिए हर साल सैकड़ों बिल्लियों को मार दिया जाता था और उनके मांस को एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका से USDA द्वारा खरीदा जाता था।

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1982 में इस परियोजना की शुरुआत के बाद से, USDA ने लगभग 3,000 बिल्लियों को मारने में लगभग 22 मिलियन डॉलर खर्च किए हैं। कृषि अनुसंधान अध्ययन (ARS) के अध्ययन के दौरान यह पता चला कि, इन भयावह प्रयोगों को करने के लिए 2003 से 2015 के बीच सालाना $650,000 खर्च किया गया था।

White Coat Waste Project Kitten Cannibalism Report
White Coat Waste Project Kitten Cannibalism Report

USDA द्वारा जानवरों पर किये गए कुछ आश्चर्यजनक प्रयोग:

  • चीन की वेट मार्केट से एक बार 34 बिल्लियाँ खरीदी गयी थी और फिर उन्हें मारकर उनकी जीभ, मष्तिष्क, दिल निकालकर USDA में बिल्लियों को खिला दिया गया था।
  • एक बार इसी तरह चीन की मार्केट से 42 बिल्लियाँ खरीदी गयी थी फिर उन्हें मारकर उनके दिल, जीभ और मष्तिष्क निकालकर USDA के चूहों को खिला दिया गया था।
  • एक बार वियतनाम की मार्केट से 42 कुत्ते खरीदकर उनके दिल, दिमाग और जीभ को USDA में बिल्लियों को खिलाया गया था।
  • ऐसे ही एक बार ब्राज़ील की गलियों से 120 कुत्तो को पकड़कर उनकी जीभ, दिल और मष्तिष्क निकालकर USDA में बिल्लियों को खिला दिया गया था।

USDA का दावा है कि प्रयोगों के लिए चीन से लाई गई बिल्लियों को China’s Law of Slaughtering of Food Animals के अनुसार मानवीय रूप से मारा गया था। हालाँकि यह एक झूठ था क्योंकि चीन में ऐसे कोई भी राष्ट्रीय कानून नहीं हैं।

Jim Keem – एक पूर्व USDA वैज्ञानिक और एक मुखबिर हैं, जो WCW के साथ Kitten Cannibalism रिपोर्ट के सह-लेखक भी थे, उनका मानना ​​है कि इस प्रयोग का USDA के खाद्य सुरक्षा मिशन से कोई सम्बन्ध नहीं था।

उन्होंने NBC न्यूज को बताया कि “यह पागलपन है, नरभक्षी बिल्लियाँ, कुत्ते खाने वाली बिल्लियाँ, इसमें मुझे कोई तथ्य नहीं दिखता, इसका खाद्य सुरक्षा मिशन से कोई भी सम्बन्ध नहीं है। हमें ऐसी चीजों के लिए कोई भी भुगतान नहीं करना चाहिए।”

मैरीडा में यूएसडीए सुविधा द्वारा खरीदी गई बिल्ली एफओआईए अनुरोध द्वारा प्राप्त इस अवांछित तस्वीर में एक मेज पर खड़ी है। टॉक्सोप्लाज्मोसिस प्रयोगों के लिए बिल्ली के बच्चे को प्रजनन के लिए इस तरह के बिल्लियों का उपयोग किया जाता है
मैरीलैंड में यूएसडीए सुविधा द्वारा खरीदी गई बिल्ली एफओआईए अनुरोध द्वारा प्राप्त इस अवांछित तस्वीर में एक मेज पर खड़ी है। टॉक्सोप्लाज्मोसिस प्रयोगों के लिए बिल्ली के बच्चे को प्रजनन के लिए इस तरह के बिल्लियों का उपयोग किया जाता है

इन सबके बीच सबसे ज्यादा चौकाने वाली बात यह है कि USDA नें यह कुत्ते और बिल्लियाँ उसी वेट मार्केट से खरीदी थी जिसकी US कांग्रेस ने 2018 के House Resolution में कड़ी निंदा की थी। इसी बीच WCB का यह मानना है कि कूत्ते और बिल्लियों पर प्रयोग करना पैसों की बर्बादी है। क्यूंकि यह पहले ही सिद्ध हो चुका है कि Toxoplasmosis Research का मानव स्वास्थ से कुछ भी लेना-देना नहीं है, और WCB नें यह भी कहा है कि USDA की भविष्य की योजनाओं में इसकी कोई जगह नहीं है।

Kitten Act

इस तरह के तथ्यहीन प्रयोगों को 2018 में ही बंद कर दिया गया था। जब White Coat Waste Project नें सरकारी संस्था द्वारा जारी किये गए एक अधिनयम की रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। जिसमे यह कहा गया था कि अमेरिका के करदाताओं का पैसा ऐसे तथ्यहीन प्रयोगों पर बर्बाद करना बेवकूफी है। जिसका मानव स्वास्थ से कोई लेना-देना न हो और न ही मानव स्वास्थ को इससे कोई फायदा पहुँच रहा हो।

जनता के विरोध और व्यवस्थापकों की प्रक्रियाओं के बाद 2019 में Kitten Act पारित किया गया। जिसने अमेरिकी कृषि विभाग में बिल्ली के प्रयोगों पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके अलावा, मैरीलैंड में USDA प्रयोगशाला में 14 शेष बिल्लियों को गोद लेने के लिए रखा गया था। इस अधिनियम को रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों ही सदनों का भारी समर्थन मिला था।

अगर WCW का Kitten Act के लिए अथक अभियान सफल नहीं होता, तो USDA के अधिकारियों ने करोड़ों लोगों की जान जोखिम में डालकर अमेरिकी धरती पर कोरोनावायरस और अन्य खतरनाक वायरस लाए होते।

चीन में अमेरिकी वित्त पोषित पशु प्रयोगशालाएं

चीन में अमेरिकी वित्त पोषित पशु प्रयोगशालाएं
चीन में अमेरिकी वित्त पोषित पशु प्रयोगशालाएं

WCW की एक अन्य रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि U.S. National Institutes of Health (NIH) जानवरों के परीक्षण के लिए लाखों अमेरिकी टैक्स डॉलर विदेशी देशों को भेज रहा है। इसके अलावा NIH चीन में 24 पशु-परीक्षण प्रयोगशालाओं को फण्ड भी दे रहा है, जिसमें वुहान प्रयोगशाला की प्रयोगशालाएं भी शामिल हैं। यह माना जाता है कि वुहान प्रयोगशाला में ही कोरोनावायरस को एक हथियार बनाया गया था। इससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि प्रयोग समाप्त होने के बाद प्रयोगशालाओं से जानवरों को चीनी वेट मार्केट में वापस उपभोग के लिए बेच दिया जाता है।

इटली नें चीनी जैविक प्रयोगों को उजागर किया था

जैसा कि ग्रेटगेमइंडिया द्वारा पहले ही बताया गया था कि इन चीनी प्रयोगों को 2015 में इटली द्वारा उजागर किया गया था। पांच साल पहले इटली की मीडिया कंपनी Rai – Radiotelevisione Italiana ने चीन द्वारा वायरस पर किये जा रहे प्रयोगों के गलत मंसूबों को उजागर किया था। एक वीडियो जिसे नवंबर 2015 में प्रसारित किया गया था, जिसमे दिखाया गया था कि कैसे चीनी वैज्ञानिक एक SARS से जुड़े वायरस पर जैविक प्रयोग कर रहे थे। ऐसा माना जा रहा था कि यह कोरोनावायरस, चमगादड़ और चूहों से लिया गया था। यह जांचने के लिए कि क्या यह जोखिम भराथा ताकि इसे संशोधित करके मानव जीवों के अनुरूप बनाया जा सके।

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