जैवयुद्ध विशेषज्ञ डॉ फ्रांसिस बॉयल – कोरोनावायरस एक जैविक युद्ध हथियार

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एक धमाकेदार साक्षात्कार में डॉ. फ्रांसिस बॉयल जिन्होंने जैविक हथियार अधिनियम का ड्राफ्ट तैयार किया था, उन्होंने एक विस्तृत बयान देते हुए कहा है, कि 2019 वुहान कोरोनावायरस एक आक्रामक जैविक युद्ध हथियार है। और इसके बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) पहले से ही जानता है।

जैवयुद्ध विशेषज्ञ डॉ फ्रांसिस बॉयल – कोरोनावायरस एक जैविक युद्ध हथियार
जैवयुद्ध विशेषज्ञ डॉ फ्रांसिस बॉयल – कोरोनावायरस एक जैविक युद्ध हथियार

फ्रांसिस बॉयल यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस कॉलेज ऑफ लॉ में अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रोफेसर हैं। उन्होंने जैविक हथियार सम्मेलन के लिए अमेरिकी डोमेस्टिक इम्प्लीमेंटिंग लेजिस्लेशन का ड्राफ्ट तैयार किया था। जिसे 1989 के जैविक हथियार आतंकवाद-विरोधी अधिनियम के रूप में जाना जाता है। और जिसे राष्ट्रपति George H. W. BUSH के हस्ताक्षर के साथ अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों द्वारा सर्वसम्मति से लागू किया गया था।

जियो पॉलिटिक्स और एम्पायर को दिए गए एक विशेष साक्षात्कार में डॉ बॉयल ने वुहान, चीन और बायोसेफ्टी लेवल-4 प्रयोगशाला (BSL-4) में कोरोनावायरस के प्रकोप पर चर्चा की। उनका मानना ​​है कि वायरस संभावित रूप से घातक है और एक आक्रामक जैविक युद्ध हथियार है। या यूं कहें कि दोहरे उपयोग वाले बायो-वारफेयर हथियार एजेंट को आनुवंशिक रूप से फ़ंक्शन गुणों के लाभ के साथ संशोधित किया गया है। यही कारण है कि चीनी सरकार ने मूल रूप से इसे पहले छिपानें की कोशिश की और अब इसे रोकने के लिए कड़े प्रयास कर रही है। और डॉ. बॉयल का तर्क है कि WHO अच्छी तरह जानता है कि क्या हो रहा है।

डॉ बॉयल ने ग्रेटगैमइंडिया की विशेष रिपोर्ट कोरोना वायरस एक जैविक हथियार का भी जिक्र किया – जहां हमने विस्तार से बताया कि कैसे विनीपेग में कनाडाई लैब में काम करने वाले चीनी बायोवारफेयर एजेंट कोरोनावायरस की तस्करी में शामिल थे।

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YouTube ने सच बोलने के लिए डॉ फ्रांसिस बॉयल के साक्षात्कार को रोक दिया है। साक्षात्कार नीचे देखा जा सकता है:

डॉ. बॉयल का बयान मुख्यधारा के मीडिया के नैरेटिव से बिलकुल विपरीत है, जिसमे वह दावा करते हैं की इस कोरोना वायरस की उत्पति सीफ़ूड मार्केट से हुई है। और इस बात पर तमाम बुद्धिजीवी लगातार सवाल उठा रहे हैं।

हाल ही में, अरकंसास के अमेरिकी सीनेटर टॉम कॉटन ने भी मुख्यधारा के मीडिया के दावे को झूठा बताया। जिसमें यह कहा जा रहा है, कि मृत और जीवित जानवरों को बेचने वाला बाजार कोरोनावायरस के प्रकोप का जिम्मेदार है।

कॉटन ने एक लैंसेट अध्ययन का उल्लेख किया जिसमें दिखाया गया था कि वेट मार्केट में पाए गए सभी मरीजों में एक भी नॉवेल कोरोनावायरस का मरीज नहीं था। और इस अध्ययन ने मुख्यधारा मीडिया द्वारा किये जा रहे दावे को झूठा साबित कर दिया।

“जैसा कि एक महामारी विज्ञानी ने कहा सीफ़ूड मार्केट से बाहर आने से पहले ही यह वायरस सीफ़ूड मार्केट में चला गया था। हम अभी भी नहीं जानते हैं कि यह कहां से उत्पन्न हुआ था।”

कॉटन नें कहा कि “ध्यान देनें योग्य बात यह है कि वुहान में चीन की एकमात्र बायो-सेफ्टी-लेवल-4 (BSL-4) सुपर प्रयोगशाला हैं जो विश्व के सबसे घातक रोगजनकों को शामिल करने के लिए काम करती हैं, और हाँ यह बात उन्होंने कोरोना वायरस के सन्दर्भ में कही।

इस तरह की चिंताओं को “ओरिजिन ऑफ़ द फोर्थ वर्ल्ड वॉर” और “द फ़ूल एंड हिज़ एनिमी” नामक किताबों के प्रसिद्ध लेखक जे आर न्यक्विस् द्वारा भी उठाया गया हैं। आपको बता दें कि जे आर न्यक्विस् “द न्यू टैक्टिक्स ऑफ़ ग्लोबल वार” के सह-लेखक भी हैं। अपने व्यावहारिक लेख में उन्होंने चीनी रक्षा मंत्री जनरल ची हाओतियन द्वारा उच्च-स्तरीय कम्युनिस्ट पार्टी के कैडरों को दिए गए गुप्त भाषणों को प्रकाशित किया। जिससे कि चीनी राष्ट्रीय पुनर्जागरण को सुनिश्चित करने के लिए एक लंबी दूरी की योजना तय की जा सके। यह चीन द्वारा वायरस को वेपनाइज्ड करने का एक मुख्य स्त्रोत होगा।

जे आर न्यक्विस् ने कोरोनवायरस के पूरे मामले को बताने के लिए तीन अलग-अलग डेटा पॉइंट दिए, वह लिखते हैं कि:

विचार के लायक तीसरा डेटा बिंदु है ग्रेटगैमइंडिया का रिपोर्ट- क्या कोरोना वायरस एक जैविक हथियार है

ग्रेटगैमइंडिया के ऑथर विनीपेग में कनाडाई (P-4) नेशनल माइक्रोबायोलॉजी लैब में चीनी नागरिकों द्वारा सुरक्षा उल्लंघन की खबर के साथ खान के वायरोलॉजी जर्नल लेख को एक साथ रखने के लिए सजग्द थे। जहां नॉवेल कोरोनावायरस को कथित रूप से अन्य घातक जीवों द्वारा संग्रहीत किया गया था। पिछले मई में रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस को जांच के लिए बुलाया गया था, और फिर जुलाई के अंत तक चीनी वैज्ञानिकों को लैब से बाहर निकल दिया गया। मुख्य चीनी वैज्ञानिक (डॉ. जियांगू किउ) विनीपेग और वुहान के बीच कथित तौर पर यात्राएं करने की दोषी पाई गयी थी।

यहां हमारे पास NCoV जीवों की यात्रा की पूरी जानकारी है। यह पहली बार सऊदी अरब में खोजा गया था, फिर कनाडा में अध्ययन किया गया था। और फिर वहां से यह एक चीनी वैज्ञानिक द्वारा चुराकर वुहान में लाया गया था। 2008 में ताइवान के खुफिया प्रमुख के बयान की तरह, ग्रेटगैमइंडिया इस गहन हमले की तह तक पहुंचा। जिसमें उन्होंने कहा था कि सच्चाई जो भी हो, निकटता का तथ्य और उत्परिवर्तन की अवांछनीयता को हमारी गणना में शामिल होना चाहिए”।

इस बात की पूरी संभावना है कि 2019-nCoV जीव, 2012 में सऊदी डॉक्टरों द्वारा खोजे गए NCoV का ही एक हथियारबंद संस्करण है।

इस बीच, मुख्यधारा के मीडिया अभी तक यही बता रहा है कि 2019 कोरोनावायरस वुहान सीफूड मार्केट की देन है। ग्रेटगैमइंडिया द्वारा कोरोना वायरस एक जैविक हथियार पर कहानी प्रकाशित करने के बाद, न केवल हमारे डेटाबेस के साथ छेड़छाड़ की गई बल्कि हमारी रिपोर्ट फ़ेसबुक द्वारा इस कारण से ब्लॉक की गई कि वे ग्रेटगैमइंडिया का फ़ेसबुक पेज नहीं खोज सके। इस रिपोर्ट पर अनेक विदेश नीति पत्रिकाओं द्वारा काफी हमला किया गया है।

ग्रेटगेमइंडिया सिर्फ अकेला नहीं है, जिस पर इस तरह शातिराना हमला हो रहा है, इसके अलावा जीरो हेज,(एक लोकप्रिय वैकल्पिक मीडिया ब्लॉग) को ट्विटर द्वारा निलंबित कर दिया गया। क्यूंकि इसने भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा एक अध्ययन से संबंधित एक कहानी प्रकाशित की थी कि 2019 वुहान कोरोनावायरस स्वाभाविक रूप से विकसित नहीं हुआ है बल्कि इसे एक प्रयोगशाला में बनाया गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस अध्ययन को सोशल मीडिया विशेषज्ञों द्वारा जमकर ऑनलाइन आलोचना की गयी। जिसके परिणामस्वरूप वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन को बंद कर दिया।

हालाँकि प्रतिशोध में भारत ने चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के खिलाफ पूर्ण पैमाने पर जांच शुरू की है। भारत सरकार ने पूर्वोत्तर राज्य नागालैंड (चीन के करीब) में किए गए एक अध्ययन पर एक शुरू करने के लिए आदेश दिए हैं। जिसमें यू.एस. चीन और भारत के शोधकर्ताओं द्वारा चमगादड़ों और मनुष्यों पर इबोला जैसे घातक वायरस के एंटीबॉडी ले जाने पर शोध किया गया है।

अध्ययन शक के दायरे में आया क्योंकि 12 में से दो शोधकर्ताओं का वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ इमर्जिंग इन्फेक्शस डिसीज के वुहान इंस्टीट्यूट से सम्बन्ध पाया गया। और इसे संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा विभाग की रक्षा खतरा निवारण एजेंसी (डीटीआरए) द्वारा फण्ड किया गया था।

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज (NCBS), वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, अमेरिका में स्वास्थ्य विज्ञान के यूनिफ़ॉर्मड सर्विसेज यूनिवर्सिटी और सिंगापुर में ड्यूक-नेशनल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों पर इस बात की जांच की जा रही है कि कैसे वैज्ञानिकों को बिना किसी अनुमति के चमगादड़ों और चमगादड़ के शिकारियों (मनुष्यों) के जीवित नमूनों तक पहुँचने की अनुमति दी गई थी।

अध्ययन के परिणामों को पिछले साल अक्टूबर में PLOS उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग पत्रिका में प्रकाशित किया गया था, जो मूल रूप से बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा स्थापित किया गया था।

जैसा कि लेखक जे.आर. न्यक्विस्ट कहते हैं:

हमें वुहान में हुए प्रकोप की जांच करनी चाहिए। चीनियों को विश्व को पूरी पारदर्शिता प्रदान करनी चाहिए, और सच सामने आना चाहिए। यदि चीनी अधिकारी निर्दोष हैं, तो उनके पास छिपाने के लिए कोई वजह नहीं है। अगर वे दोषी हैं, तभी वह सहयोग करने से इनकार करेंगे।

यहां वास्तविक चिंता यह है कि क्या बाकी दुनिया में वास्तविक और गहन जांच की मांग करने की हिम्मत है। हमें इस मांग में निडर होने की जरूरत है। और “आर्थिक हितों” की वजह से एक नीच और बेईमान खेल खेलने की कोई आवश्यकता नहीं है। हमें जरूरत है की इस बात की तह तक पहुंचा जाए और इसकी निष्पक्षता से जाँच की जाय। हमें इस बात की सख्त जरूरत है।

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