बिल गेट्स के भारतीय एजेंडा का पर्दाफाश

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति John F. Kennedy के भतीजे Robert Kenndey Jr. ने भारत में बिल गेट्स के एजेंडे और उनके “टीकों के प्रति जुनून” को उजागर किया है। दिलचस्प बात यह है कि, ग्रेटगेमइंडिया के पाठकों को याद होगा कि, Jr. Kennedy का यह संदेश Robert Kennedy की पोती और उनके बेटे के संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाए जाने के कुछ दिनों बाद आया है। कैनेडी परिवार पर यह एक आसन्न त्रासदी की चेतावनी जैसा बताते हुए प्रसिद्ध अमेरिकी गायक Bob Dylan ने दशकों पहले हुए JFK हत्या के रहस्य का भी जिक्र किया है।

बिल गेट्स के भारतीय एजेंडा का पर्दाफाश
बिल गेट्स के भारतीय एजेंडा का पर्दाफाश

Robert Kennedy Jr. के अपने शब्दों में:

टीके, Bill Gates के लिए एक रणनीतिक परोपकार है, जो उनके कई वैक्सीन-संबंधी व्यवसायों (एक वैश्विक टीकाकरण ID उद्यम को नियंत्रित करने के लिए Microsoft की महत्वाकांक्षा सहित) का जरिया हैं और उन्हें वैश्विक स्वास्थ्य नीति पर तानाशाही नियंत्रण प्रदान करते हैं।

प्रौद्योगिकी के साथ दुनिया को बचाने के लिए वैक्सीन के साथ Gates का जुनून एक दृढ़ विश्वास से भरा हुआ लगता है।

पोलियो को मिटाने के लिए $1.2 बिलियन में $450 मिलियन के अपने हिस्से का वादा करते हुए, गेट्स ने India’s National Technical Advisory Group on Immunization (NTAGI) पर पूरा नियंत्रण कर लिया है। जिसने टीकाकरण कार्यक्रमों की ओवरलैपिंग के माध्यम से पोलियो टीकाकरण के 50 से अधिक खुराक को पांच साल की उम्र तक के बच्चों तक पहुंचाया है। भारतीय डॉक्टरों ने गेट्स अभियान को एक विनाशकारी  Non-Polio Acute Flaccid Paralysis (NPAFP) महामारी के लिए जिम्मेदार ठहराया है। जिसके कारण 2000 और 2017 के बीच अपेक्षित दरों से परे 490,000 बच्चे विकलांग हुए हैं। 2017 में भारत सरकार ने गेट्स के टीके को मना कर दिया था और गेट्स और उनकी वैक्सीन नीतियों के बारे में प्रश्न भी उठाये थे। जिसके बाद NPAFP की दरों में तेजी से गिरावट भी देखी गयी है।

2017 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अनिच्छा से स्वीकार किया था कि पोलियो की बढ़ती दर का मुख्य कारण वैक्सीन स्ट्रेन है। कांगो, अफगानिस्तान और फिलीपींस में सबसे भयावह महामारी के सभी मामले टीके से जुड़े हुए हैं। वास्तव में, 2018 तक वैश्विक पोलियो के 70% मामलों के लिए वैक्सीन स्ट्रेन जिम्मेदार थी।

2014 में, गेट्स फाउंडेशन द्वारा दूरदराज के भारतीय प्रांतों में 23,000 युवा लड़कियों पर Glaxo Smith Kline (GSK) और Merck द्वारा विकसित प्रयोगात्मक HPV टीकों के परीक्षण के लिए फंडिंग की गयी थी। जिसमें लगभग 1,200 गंभीर दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ा था, जिसमें autoimmune और प्रजनन संबंधी विकार शामिल हैं और सात की मौत भी हो गई थी। भारत सरकार की जांच में यह आरोप लगाया गया था कि गेट्स द्वारा की गयी फंडिंग से शोधकर्ताओं ने व्यापक नैतिक उल्लंघन किए थे। मुकदमे में कमजोर गांव की लड़कियों पर दबाव डालना, माता-पिता को धमकाना, सहमति के लिए मजबूर करना, और घायल लड़कियों को चिकित्सा देखभाल से इनकार करने जैसे आरोप लगाये गए थे। हालाँकि यह मामला अब देश के सर्वोच्च न्यायालय में है।

2010 में, गेट्स फाउंडेशन ने GSK के प्रायोगिक मलेरिया वैक्सीन के phase-3 के परीक्षण के लिए फंडिंग की थी। जिसमें 151 अफ्रीकी शिशुओं की मृत्यु हो गई थी और 5,990 बच्चों में से 1,048 को पक्षाघात, दौरे, और ज्वर के कारण होने वाले जैसे गंभीर नुकसान हुए थे।

उप-सहारा अफ्रीका में गेट्स 2002 MenAfriVac अभियान के दौरान, गेट्स के परिचालकों ने meningitis के खिलाफ हजारों अफ्रीकी बच्चों को जबरन टीका लगाया था। 500 में से लगभग 50 बच्चों को टीके के कारण लकवा की शिकायत हो गयी थी। दक्षिण अफ्रीकी अखबारों ने शिकायत की कि, “हम दवा निर्माताओं के लिए गिनी सूअर हैं।” Nelson Mandela के पूर्व वरिष्ठ अर्थशास्त्री, Professor Patric Bond, नें गेट्स की परोपकारी प्रथाओं को “क्रूर और अनैतिक” बताया था।

2010 में, गेट्स ने WHO को यह कहते हुए 10 बिलियन डॉलर का भुगतान किया था कि, “इस दशक को हमें टीकों का दशक बनाना चाहिए।” फिर एक महीने बाद, गेट्स ने Ted Talk में कहा कि नए टीके “जनसंख्या को कम कर सकते हैं”। 2014 में, केन्या के कैथोलिक डॉक्टर्स एसोसिएशन ने WHO पर “टेटनस” वैक्सीन अभियान के साथ लाखों अनिच्छित केन्याई महिलाओं की नसबंदी करने का आरोप लगाया था। स्वतंत्र प्रयोगशालाओं में परीक्षण किए गए प्रत्येक टीके में एक बाँझपन सूत्र पाया गया था। आरोपों से इनकार करने के बाद, आखिरकार WHO ने स्वीकार किया कि वह एक दशक से अधिक समय से बाँझपन के टीके विकसित कर रहा था। इसी तरह के आरोप तंजानिया, निकारागुआ, मैक्सिको और फिलीपींस नें भी लगाये थे।

2017 के एक अध्ययन (Morgenson et. al. 2017) से पता चला कि WHO का लोकप्रिय DTP वैक्सीन बीमारियों को रोकने से ज्यादा तो अफ्रीकी बच्चों को मार रहा है। DTP- टीकाकरण से पीड़ित लड़कियों को 10x बच्चों की मृत्यु दर का सामना करना पड़ा था, जिन्हें अभी तक टीका नहीं मिला था। WHO ने घातक टीके को वापस लेने से इनकार कर दिया है, जो सालाना लाखों अफ्रीकी बच्चों को लगाया जाता है।

दुनियाभर के वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिवक्ताओं ने बिल गेट्स पर आरोप लगाया कि संक्रामक रोगों पर अंकुश लगाने वाली परियोजनाओं और WHO का एजेंडा स्वच्छ पानी, स्वच्छता, पोषण और आर्थिक विकास से परे है। गेट्स फाउंडेशन केवल इन क्षेत्रों पर अपने $5 बिलियन डॉलर के बजट में लगभग 650 मिलियन डॉलर खर्च करता है। वे कहते हैं कि उन्होंने अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए एजेंसी के संसाधनों को बदल दिया है कि अच्छा स्वास्थ्य केवल एक सिरिंज में आता है।

WHO, UNICEF, GAVI, और PATH को नियंत्रित करने के लिए, गेट्स एक निजी दवा कंपनी को फंडिंग देता है जो टीके बनाती है, और इसके अलावा कोरोनावायरस वैक्सीन के विकास को गति देने के लिए $50 मिलियन, 12 दवा कंपनियों को देता है। अपने हालिया प्रेसवार्ता में, गेट्स में इस बात का विश्वास दिखा कि COVID-19 की वजह से आया यह संकट अब उसे अमेरिकी बच्चों पर अपने तानाशाही वैक्सीन कार्यक्रमों को मजबूत करने का अवसर देगा।

रॉबर्ट कैनेडी जूनियर का साक्षात्कार रूस टुडे के साथ नीचे देखें:

रॉबर्ट कैनेडी जूनियर द्वारा बच्चों के स्वास्थ्य रक्षा पर लेख, शीर्षक – गेट्स ग्लोबलिस्ट वैक्सीन एजेंडा: ए विन-विन फॉर फार्मा एंड अनिवार्य टीकाकरण।

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