चीनी एजेंट चार्ल्स लिबर और उनके वायरस ट्रांसमीटर्स

Dr. चार्ल्स लिबर (Charles Lieber) हार्वर्ड विश्वविद्यालय में नैनो-वैज्ञानिक हैं। उनपे हाल ही में अमेरिकी अधिकारियों द्वारा गुप्त रूप से चीन के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया गया था। हालांकि, उनके काम की प्रकृति पर हमेशा ही एक रहस्य बना रहा है। यह कहा जाता है कि उन्हें नैनो-बैटरी में उन्नत शोध के लिए भर्ती किया गया था। लेकिन ग्रेटगेमइंडिया की जांच से पता चला है कि Dr. लिबर वायरस ट्रांसमीटर्स पर काम कर रहे थे। वायरस ट्रांसमीटर जो कि कोशिकीय कार्यों को प्रभावित किए बिना cell membrane में प्रवेश कर सकता है। और यहां तक ​​कि हृदय की कोशिकाओं और muscle fibers के अंदर की गतिविधियों को भी माप सकता है।

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चीनी एजेंट चार्ल्स लिबर और उनके वायरस ट्रांसमीटर्स
चीनी एजेंट चार्ल्स लिबर और उनके वायरस ट्रांसमीटर्स

चीनी एजेंट चार्ल्स लिबर

Dr. चार्ल्स लिबर हार्वर्ड विश्वविद्यालय में एक नैनो-वैज्ञानिक हैं, जो Harvard’s Department of Chemistry and Chemical Biology के अध्यक्ष भी हैं। उन्हें चीन के हजार प्रतिभा कार्यक्रम (Thousand Talent Program) के साथ जुड़ने के लिए अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा जनवरी में गिरफ्तार किया गया था। यह मूल रूप से एक भर्ती योजना है जो चीन द्वारा विदेशी प्रतिभाओं और विदेशी विशेषज्ञों को अपने ज्ञान और अनुभव से चीन के काम आने के लिए लालच दिया जाता हैl और बदले में चीन मालिकाना (proprietary) जानकारी चोरी करने वालों को इनाम देता है l

चीनी एजेंट डॉ चार्ल्स लिबर
चीनी एजेंट डॉ चार्ल्स लिबर

चार्जिंग दस्तावेजों के अनुसार, लिबर इस कार्यक्रम के एक संविदात्मक भागीदार थेl और उन्हें वुहान विश्वविद्यालय में एक अनुसंधान प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए $1.74 मिलियन के साथ $50,000 मासिक भुगतान और उसके साथ ही रहने के खर्चे के लिए $158,000 दिए गये थे l तथ्य यह है कि लिबर ने चीनीयों के साथ अपने संबंध को गुप्त रखा था l उनकी निष्ठा पर सवाल के साथ-साथ विदेशी सरकारों या विदेशी संस्थाओं से वित्तीय सहायता लेने जैसे सवाल भी उठ रहे हैंl

नैनोवायर-बैटरियां – एक भ्रम?

सोचने योग्य बात यह है कि संघीय अभियोजकों द्वारा जारी किए गए हलफनामे में कहा गया है कि लिबर ने हार्वर्ड और वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। हलफनामे के अनुसार, समझौते का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए उच्च प्रदर्शन के साथ nanowire-based lithium-ion batteries के उन्नत अनुसंधान और विकास को आगे बढ़ाना था।

2011 में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में डॉ चार्ल्स लेबर
2011 में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में डॉ चार्ल्स लेबर

हालांकि, लिबर के अनुसंधान का फोकस नैनोवायर बैटरियां कभी नहीं थी। एक नैनो वैज्ञानिक और लिबर के पूर्व छात्र का कहना है कि “मैंने कभी चार्ल्स को बैटरी या नैनोवायर बैटरी पर काम करते नहीं देखा”। वास्तव में, उनके सभी शोध पत्रों और पेटेंटों में बैटरी या वाहनों का कोई उल्लेख नहीं है।

हालाँकि, गिरफ़्तारी के एक दिन बाद लिबर को $1 मिलियन बॉन्ड पर रिहा कर दिया गया था, लेकिन यह सवाल अभी भी बरकरार है कि लिबर के शोध का स्वरूप क्या था?

लिबर और उनके वायरस ट्रांसमीटर्स

Dr. लिबर 1991 में हार्वर्ड में शामिल हो गए। विश्वविद्यालय में अपने शुरुआती दिनों में, उन्होंने एक फ्लास्क में नैनोवायर को विकसित करके इस क्षेत्र में काफी प्रगति की। लिबर से पहले के शोधकर्ता अर्धचालक, धातुओं और अन्य सामग्रियों की मदद से पहले से ही wire जैसी संरचनाएं बना रहे थे। हालांकि, उनके दृष्टिकोण से काफी खर्चा आयेगा और कंप्यूटर-चिप निर्माताओं द्वारा उपयोग की जाने वाली साफ-सुथरी सुविधाओं की आवश्यकता होगी।

लिबर सिर्फ सरल और सस्ती रासायनिक तकनीकों का उपयोग करके नैनो-स्ट्रक्चर बना सकते हैं। यहां तक ​​कि उन्होंने एक कदम आगे बढ़ाकर यह दिखाया कि इन नैनोवायरों को transistors, complex logic circuits, data storage devices और यहाँ तक कि sensors के रूप में कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है।

वी-आकार का सिलिकॉन नैनोवायर बाईमेटल कनेक्टर्स से जुड़ा होता है जो पूरी संरचना को क्षैतिज विमान से ऊपर उठाता है जिस पर इसे बनाया जाता है।
वी-आकार का सिलिकॉन नैनोवायर बाईमेटल कनेक्टर्स से जुड़ा होता है जो पूरी संरचना को क्षैतिज विमान से ऊपर उठाता है जिस पर इसे बनाया जाता है।

2001 में हार्वर्ड मैगज़ीन ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें लिबर और उनकी टीम के शोध पर चर्चा की गई, जिसे Liquid Computing की संज्ञा दी गई थी। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि लिबर सिलिकॉन आधारित माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक उद्योग की सबसे बड़ी चुनौती को सुलझाने में किस तरह सबसे आगे था और वह था सिलिकॉन चिप्स को छोटा और बहुत ही छोटा बनाना।

लिबर ने उल्लेख किया कि “निरंतर दबाव अंततःसमस्या के रूप में समस्याग्रस्त हो जाता है, तो फिर कोई कैसे इसे प्राप्त कर सकता है। इसके बजाय, उन्होंने नैनोवायर का उपयोग करते हुए छोटे लॉजिक सर्किट और मेमोरी बनाई जो कि किसी एक कंप्यूटर के दो मुख्य पुर्जे होते हैं। और ये सर्किट वास्तव में छोटे थे, जिनमें से कुछ सिर्फ परमाणुओं जितने थे!

दस साल बाद लिबर ने एक ट्रांजिस्टर बनाया, इसका इस्तेमाल cell membrane को भेदने और उनके अंदरूनी हिस्सों की जांच करने के लिए किया जा सकता है। वो भी बिना किसी रक्षा करनेवाले (intercellular) कार्यों को प्रभावित किए हुए। Bio-compatible Transistor – एक वायरस का आकार – न केवल एक न्यूरॉन के अंदर की गतिविधियों को माप सकता है, बल्कि हृदय की कोशिकाओं और muscle fibers को भी माप सकता है।

चार्ल्स लिबर ने एक ट्रांजिस्टर बनाया, ताकि इसका उपयोग सेल झिल्ली को भेदने और उनके अंदरूनी हिस्सों की जांच करने के लिए किया जा सके, बिना किसी व्यवधान के।
चार्ल्स लिबर ने एक ट्रांजिस्टर बनाया, ताकि इसका उपयोग सेल झिल्ली को भेदने और उनके अंदरूनी हिस्सों की जांच करने के लिए किया जा सके, बिना किसी व्यवधान के।

2017 में, लिबर और उनकी टीम ने सफलतापूर्वक लचीले 3D नैनोवायर जाल (mesh) बनाए जो कि किसी जानवर के मस्तिष्क या रेटिना में इंजेक्ट कर सकते हैं। खुद को न्यूरॉन्स से जोड़ सकते हैं और कोशिकाओं के बीच विद्युत संकेतों की निगरानी कर सकते हैं, और muscle fibers को भी माप सकते हैं।

एक बार नैनोवायर को ऊपर उठाने के बाद, यह कोशिकाओं जैसे त्रि-आयामी संरचनाओं में प्रवेश कर सकता है
एक बार नैनोवायर को ऊपर उठाने के बाद, यह कोशिकाओं जैसे त्रि-आयामी संरचनाओं में प्रवेश कर सकता है

यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि चीनी अधिकारी उसे भर्ती करने के लिए जल्दी थे क्योंकि वह नैनो प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सबसे उज्ज्वल व्यक्ति है। न केवल उनकी शोध चीन को भविष्य की इस तकनीक में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना सकती है, बल्कि यह जैविक प्रभुत्वता के चीनी लक्ष्य की दिशा में भी एक कदम आगे है।

रणभूमि में नैनो-टेक्नोलॉजी

उन्नत युद्ध में नैनो प्रौद्योगिकी के महत्व को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका का रक्षा विभाग (DoD) नैनो प्रौद्योगिकी अनुसंधान के सबसे बड़े समर्थकों में से एक है। उन्होंने नैनोइलेक्ट्रॉनिक और नैनोमैटिरियल्स से संबंधित विभिन्न शोधों में सैकड़ों मिलियन डॉलर का वित्त पोषण किया है।

प्रौद्योगिकी नैनोसेंसर और नैनोकोटिंग्स बनाने में मदद कर सकती है, जो सैन्य रासायनिक और जैविक हमले होनेपर सैनिकों की रक्षा करने के लिए उपयोग कर सकते हैं। तथ्य यह है कि नैनोसेंसर्स सूक्ष्म मात्रा में रसायनों का पता लगा सकते हैं। इसका मतलब है कि इसका उपयोग रासायनिक युद्ध एजेंटों जैसे तंत्रिका एजेंटों (nerve agents) और रक्त एजेंटों (blood agents) के खिलाफ एक प्रभावी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में किया जा सकता है।

चीनी संस्थानों और विश्वविद्यालयों के साथ चार्ल्स लिबर का गुप्त संबंध और नैनो तकनीक में उनकी विशेषज्ञता एक गंभीर खतरा क्यों पैदा कर सकती है। लिबर ने Thousand Talents Plan के साथ अपनी भागीदारी और वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के साथ संबद्धता के बारे में झूठ बोला था। और यह उसे किसी चीनी-बायोवार एजेंट की संज्ञा देने के लिए पर्याप्त है।

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